द गर्ल इन रूम 105–३२
खुली हुई थीं।
"मैंने तुम्हें बाहर बैठकर इंतज़ार करने को कहा। मैं तुम्हें लॉकअप में भी रख सकता था, लेकिन मुझे नहीं
लगता, तुम वहां पर एक रात बिताना पसंद करते।'
मैंने मन ही मन कल्पना की कि मैं सलाखों के पीछे हूं और मेरे पैरेंट्स को इस बारे में पता चल गया है। वैसे
भी वे मुझ पर इतना चिल्लाते, जितना कोई पुलिस वाला कभी नहीं चिल्ला सकता था। नहीं, ये वाला
बिलकुल ठीक नहीं था।
'नहीं, सर, मैं बाहर ही ठीक हूं।" "वैसे तुम्हें होना तो अंदर चाहिए था, अगर लड़की का क़त्ल तुमने ही किया है तो। '
"मैंने नहीं किया है, सर। मैं ईमानदारी से कहता हूं।" "यह मेरे लिए काफ़ी नहीं।'
'मैं उससे प्यार करता था, सर। जारा मेरी दुनिया है... दुनिया थी। मैं उसे भला क्यों मारूंगा?' 'क्योंकि तुम उसको हासिल नहीं कर सकते थे।'
"नहीं, सर, ऐसी बात नहीं है। उसने खुद मुझे मैसेज करके बुलाया था।' मैंने अपना फोन उनके सामने बढ़ा दिया। उन्होंने मेरी और ज़ारा की आख़री व्हॉट्सएप्प चैट्स देखीं।
**मेरे बैच में से किसी से भी पूछ लीजिए, वे आपको बताएंगे कि ज़ारा मेरे लिए क्या थी।' इंस्पेक्टर चैट्स को देखते रहे। मैं बोलता रहा।
"मैंने पुलिस को बुलाया, सर। मैंने उसके पिता को बुलाया। मैंने तो उसके बॉयफ्रेंड को भी ख़बर करने की
कोशिश की थी।'
'हां, रघु। उसने फ़ोन नहीं उठाया। शायद इसलिए कि बहुत रात हो चुकी थी। वह हैदराबाद में रहता है।'
'क्या, बॉयफ्रेंड?"
'मुझे उसका नंबर दो।'
"उसका नंबर मेरे फ़ोन में है—रघु वेंकटेश।' इंस्पेक्टर ने रघु का नंबर नोट कर लिया। एक कांस्टेबल अंदर आया ।
"ज़ारा लोन के पिता उसकी लाश को अपने साथ ले गए हैं,' उसने कहा । 'व्हॉट द हेल। इतनी भी क्या जल्दी थी?" इंस्पेक्टर राणा इससे नाखुश नज़र आ रहे थे।
“उसके पिता बड़ी शख़्सियत हैं। शायद उन्होंने अपने कॉन्टैक्ट्स की मदद ली होगी,' कांस्टेबल
'उसके पैरेंट्स कहां रहते हैं?"
'वेस्टएंड ग्रीन्स में यह दिल्ली बॉर्डर पर शिव स्टेच्यू के पास है,' कांस्टेबल ने कहा।
ऑप्शन तो
ने कहा ।
'रिच गर्ल, इंस्पेक्टर ने मखौल के अंदाज़ में कहा। उन लोगों से पोस्ट मार्टम के बारे में बात करो।'
"मैंने बात की थी, लेकिन उसके पिता ने मना कर दिया। अभी वे लोग बहुत डिस्टर्ड हैं,' कांस्टेबल ने कहा । "सर, आप इन मुसलमानों को तो जानते ही हैं। उनका मजहब इस बात की इजाजत नहीं देता कि मुर्दे की
चीरफाड़ की जाए। अगर हम प्रेशर डालेंगे तो इससे और तमाशा ही होगा।'
कांस्टेबल ने कोई जवाब नहीं दिया। वह चुपचाप सिर झुकाकर वहां से निकल गया। कांस्टेबल के जाने के बाद इंस्पेक्टर राणा मुझसे मुखातिब हुए। 'तुम तो उसको प्यार करते थे ना? तो तुम उदास क्यों नहीं हो?"
"पता नहीं, सर। मुझे पता है कि अब वो इस दुनिया में नहीं है, लेकिन मैं इस ख़बर पर यक़ीन नहीं कर पा
रहा हूँ, इसे स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं। ऐसा लग रहा है, जैसे मैं कोई बुरा सपना देख रहा हूं, जल्द ही मेरी नींद
खुलेगी और...' 'जो होना था, वह हो चुका है। जारा लोन मर चुकी है। और बहुत मुमकिन है कि तुमने ही उसे मारा हो । मौक़ा-ए-वारदात पर तुम मौजूद थे और शराब के नशे में थे। '
"नहीं सर, ऐसा नहीं है।"
"पूर्व प्रेमी, जो उसे भुलाने में नाकाम साबित हो रहा था। उसने तुम्हें फोन करके बुलाया। तुम आए और उसके साथ ज़बर्दस्ती करने की कोशिश की। उसने इनकार किया। तुम गुस्से में होश गंवा बैठे। ' "मैंने ऐसा नहीं किया है, मैं तो केवल उसे हैप्पी बर्थडे विश करने आया था।'